Thursday 23 April 2020

Mahakumbh ki yatra .

 महाकुम्भ की यात्रा 
हमें 'भारतीय बाल कल्याण संस्थान कानपूर' की तरफ से ५३ वें  सम्मान समारोह  2013  में हम लोगो को शामिल होने का निमंत्रण मिला ये समारोह 23 -24 को होना था । हमारे श्रीमान मनोज त्रिवेदी के जहन  में आया क्यों न हम अपनी माँ को महाकुम्भ स्नान करवा दे वैसे भी २५ फरवरी को  माघी पूर्णिमा होने के कारण बड़ा स्नान था इस अवसर पर भी अनुमान था की एक करोड़ से ज्यादा की भीड़ होगी । जितने शुभचिंतक थे सब एक ही सलाह दे रहे थे की इस अवसर पर संगम में नहाना असंभव ही है । क्योंकि सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए टेम्पो,ऑटो ,गाड़िया लगभग सभी वाहनों को दस किलोमीटर की परिधि से बाहर रखा जा रहा था । ये सुनकर हमारा भी मन तैयार नहीं था जाने को । २३ तारीख को जमकर बारिश हो गयी । रात भर पानी बरसता रहा । ये देखकर हमारी सासू माँ ने हाथ खड़े कर दिए । बोली की हम नहीं जायेंगे । अभी तक कुम्भ नहीं नहाया तो क्या आवश्यकता है की हम महाकुम्भ स्नान के लिए भयंकर भीड़ में जाये और परेशान हो । हम यही ठीक है । उन्हें हमने समझाते हुए कहा की आप चिंता मत करिए उपरवाला जो चाहेगा वो होगा । अगर जाना होगा तो वैसी सुविधाएँ मिल जाएगी और आप संगम स्नान कर के आ जाएगी । हमने अपने दिमाग से संगम स्नान का ख्याल ही निकाल दिया और दूसरे दिन सम्मान समारोह में शामिल  होने के लिए चले गए  सुबह से ही सूरज चमक रहा था । बादल -पानी का कही नामोनिशान नहीं था  । तय हुआ की हम लोग तीन बजे तक कानपूर छोड़ देंगे । लेकिन सम्मान समारोह में ही पाँच बज गया । कानपूर तो वैसे ही  कचरापुर  है जगह- जगह कूड़ा -करकट वहा की शान है जिसमे इजाफा करते है चरते हुए सूअर । ऊपर से रात की बारिश ने सडको को बदबू से भर दिया था । इन सबसे बचने के लिए गाड़ी वहाँ  के लिए सर्वोतम है क्योकि कानपूर में आवागमन के लिए ऑटो या टेम्पो ही ज्यादा चलते है जो की हर समय भरे रहते है  । इस लिए  सुबह से ही इनोवा गाड़ी भाड़े पर ले ली थी। सम्मान समारोह के दौरान विधानसभा के  पूर्व  अध्यक्ष  केशरीनाथ जी त्रिपाठी का आगमन हुआ था साहित्यकारों को सम्मानित करने के लिए ।  बातचीत के दौरान कुम्भ जाने की बात बताई तो उन्होंने सबसे पहला सवाल किया "कहा ठहरेंगी "? हमारे जवाब देने पर की होटल लें लेगे । इसपर  उन्होंने कहा की इस समय आपको होटल कहा मिलेगा। उन के इस सवाल पर हम लोग सकते में आ गये।   हम लोगो को असमंजस की स्थिति में देख कर  पूछा कि -" आप लोग कितने लोग है ?"  हमने जवाब दिया कि  सात  (७) लोग।  इस पर आपने जवाब दिया की  अलाहाबाद के लिए निकलने से पहले एक बार हमे फोन कीजियेगा, हम आप लोगो के रुकने की व्यवस्था करते है।  हम लोगो ने निकलने से पहले उन्हें फोन लगाया तो त्रिपाठी जी ने बताया कि  आपके ठहरने की व्यवस्था सिविल लायंस के एक होटल "स्टार रिजेंसी " में  हो गयी है  ।  ये  सुनकर हम लोग खुश हो गए ।   अब यात्रा का मजा दुगुना हो गया क्योकि अब हम लोगों को होटल खोजने की जेहमत नहीं उठानी थी । लेकिन  महाकुम्भ स्नान अभी भी एक युद्ध से कम नहीं  था । होटल में पहुच कर सबने सुबह छह बजे निकलने की योजना बनायीं लेकिन रात्रि में देर तक जगे रहने के कारण सोकर उठे सुबह के आठ बजे ।  



चाय पीकर हम लोग संगम के लिए निकल गए 

जगह -जगह पुलिस वाले वर्दी-पेटी से लेस लोगो को अपना डंडा दिखा रहे थे । ग्रामीण लोग अपने बच्चों और सामान के संग दस किलोमीटर चल कर गंगा स्नान करने जा रहे थे 
बोट क्लब के पास 
   बाकि घाटों की अपेक्षा कम भीड़ थी    

कम भीड़ के कारण नाव पकड़ने में सुविधा थी 
  बोट क्लब 
पक्षियों का भी महाकुम्भ स्नान


अलाहाबाद का किला
सुनते है की इस किले के नीचे से सरस्वती नदी निकली है 

पवित्र स्नान कर उड़ते पक्षी 


तट पर  भारी भीड़
 भीड़ के साथ ही पक्षी भी स्नान का आनंद उठाते हुए 



आस्था और श्रद्धा  का संगम महाकुम्भ स्नान 



बोतल के हवाले गंगा जल 

 पवित्र डुबकी 

 श्रधालुओ की श्रद्धा को बोतल में बंद  कर
 बोतलों को  नाव में  रखकर बेचता नाविक 





आस्था का अर्पण 
शहर का कचरा गंगा के हवाले .
आस्था के ऊपर प्रहार 

ऊपर वाले की कृपा से हम लोगो को किसी भी प्रकार का कष्ट कुम्भ स्नान में नहीं उठाना पड़ा और हम सभी सकुशल स्नान कर मधुर यादों को समेटे अपने गंतव्य पर वापिस लौट गए। 

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