Sunday 1 January 2012
Tujhe to Aana hai Bar -Bar.
आने वाले नए साल से अपने दिल के दर्द को बयां करती हुयी चंद महीनों में मरने वाली कैंसर पीड़ित महिला की व्यथा
तुझे तो आना है बार-बार
ऐ नए साल तू आयेगा इठलायेगा इतराएगा
मदमस्त खुश्बू से जग को नहलाएगा
और मै
नहीं देख पाऊँगी तेरी चमक,तेरी सादगी
मै ठहरी अभागी
चंद सांसे है बाकि .
सुन मुझे देना है तुझे जिम्मेदारियों का भार
सुन मुझे देना है तुझे जिम्मेदारियों का भार
जो अबतक था मेरे जीवन का आधार
कल को
मै तो रहूंगी नहीं किन्तु तुझे तो आना है बार -बार
देख मेरी बेटी बड़ी भोली है ,
इसकी तो नहीं उठी अभी डोली है
खुशियों की उम्र , सब से बेफिक्र
रखना तू इसका ख्याल ,
जिंदगी में इसके रहे न कोई मलाल .
कल को
मै तो रहूंगी नहीं किन्तु तुझे तो आना है बार-बार
मेरा बेटा बड़ा चंचल है ,हरपल रहती इसके मन में बड़ी हलचल है,
ये ठहरा नादान,भले -बुरे की इसे कहा पहचान
इसे लेना सम्हाल ,चंद खुशियाँ इसकी झोली में देना तू डाल
न महसूस हो इसे कभी मेरी कमी ,अभी तो इसकी उम्र बड़ी लम्बी पड़ी .
कल को
मै तो रहूंगी नहीं किन्तु तुझे तो आना है बार-बार
मेरे पति हो जायेंगे अनाथ
सर पर नहीं इनके माँ बाप का भी हाथ
तब तू देना इनका साथ
नहीं सह पाएंगे ये जुदाई का आघात
कल को
मै तो रहूंगी नहीं किन्तु तुझे तो आना है बार-बार
सहसा छलछलाई आंखे जिनमे समायी थी आहें
धीरे से डोली ,मन ही मन बोली
काश मुझे मिल जाती चन्द सांसे उधार
जी भर करती तेरा सत्कार
नहीं देती कभी जिम्मेदारी का इतना बड़ा भार
इतना बड़ा भार .
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