Monday 14 March 2011

MANAKULA VINAYAKAR TEMPLE

 मनाकुला  विनायाकर मंदिर ...
 ये पोंडिचेरी का ३५० वर्ष पुराना प्रसिद्ध गणेश मंदिर है .इसकी दीवारों पर पचास से भी ज्यादा गणेश की छविया अंकित है .मनाकुला विनायाकर मंदिर का मतलब  गणपति जी  बालू से घिरे हुए स्थान पर विराजमान है .कहते है जब फ्रेंच का राज्य था तो उन्होंने गणेश भगवन की मूर्ति को समुन्द्र में फेंक दिया था लेकिन गणेश जी फिर से अपनी जगह आ कर विराजमान हो गए . तब से आज तक इस मंदिर को किसी ने नहीं छुआ .

AUROVILLE

आरोविल....
पोंडिचेरी पहुच कर सबसे पहले होटल खोजा गया .चुकी वहा पर किसी पिक्चर की शूटिंग चल रही थी इस लिए लगभग सभी होटल भरे हुए थे .इस कारण मनचाहा होटल नहीं मिल सका लेकिन जो मिला वह भी काफी अच्छा था .फ्रेश होकर हम लोग खाना खाने के लिए निकले ,हम लोगो की कोशिश रहती है की खाना जहा भी खाए होटल साफ सुथरा और अच्छा हो . यही वजह है की सरवनासा होटल हम लोगो की पहली पसंद होती है.इसकी बहुत सारी शाखाये है और सफाई की दृष्टि से भी काफी अच्छा है .खाना पूर्णतया साउथ इंडियन ही होता है लेकिन अनेको प्रकार के व्यंजनों के साथ .जिसमे मीठा भी शामिल रहता है .चुकी मेरी कमजोरी मीठा खाने की है इसलिए ये हमें बहुत भाता है . साउथ इंडिया में आपको खाने के साथ चम्मच बहुत कम मिलेंगी अत: आप अपना हाथ जगन्नाथ की तर्ज पर खाना ग्रहण कर सकते है .लेकिन जो लोग साम्भर, चटनी चम्मच से खाते है उन्हें बहुत तकलीफ होती है ..इसलिए हमने सोच लिया की भविष्य में जब कभी साऊथ जायेंगे तो अपने बैग में चम्मच जरुर ले जायेंगे .हलाकि पोंडिचेरी में बड़े बड़े हाई -फाई होटल है .उनमे ये दिक्कत नहीं आती .जैसे की सदगुरू होटल है .जो देखने में तो सुन्दर है ही साथ ही खातिरदारी का तरीका भी आधुनिक  है .वो हमें काफी पसंद आया .
                पोंडिचेरी में हम औरोविल्ले देखने के लिए गए आरोविल एक ऐसा नगर बनाया गया है जहा देश विदेश के स्त्री पुरुष सभी एक साथ शांति और सदभाव पूर्ण  जीवन बिता  सकते है .समस्त धार्मिकता ,राजनीती ,एवम राष्ट्रीयता से उठकर मानवीय एकता और सेवा की भावना का संचार करना व उसे पाना ही एक मात्र लक्ष्य है .२८ फरवरी १९६८ को एक समारोह द्वारा २००० एकड़ में बने आरोविल.... का विधिवत उदघाटन हुआ .जिसमे १२४ राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले ५००० लोगो ने मानवीय एकता के प्रतीक -स्वरूप एक कलश में मुट्ठी भर मिटटी डाली गयी .आज भी आरोविल.... का निर्माण कार्य जारी है.कभी बंजर नजर आने वाली ये जमीन १५ राष्ट्रों से आये १५०० से अधिक लोगो का निवास स्थान बन गया है .इस नगर के मध्य में  MATRA    मंदिर है .जो आरोविल की  संस्थापिका श्रीमा के अनुसार आरोविल.... की आत्मा है .इसका निर्माण फरवरी १९७१ में आरम्भ हुआ था .  भीतरी कक्ष में मौन ध्यान केंद्र है .और ISKE चारो तरफ बगीचों का निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है. योजना के अनुसार नगर विकास के चार   क्षेत्र  निर्धारित किये गए सांस्कृतिक ,अंतराष्ट्रीय ,औधोगिक ,तथा आवासीय .मत्रमंदिर से फैला हर क्षेत्र  किसी महत्वपूर्ण पक्ष को दिखलाता है  .सम्पूर्ण शहर वन ,खेत तथा प्रकति की हरियाली से घिरा हुआ है .
पर्यटकों के लिए सूचना  
प्रथम बार आरोविल.आने वाले को सबसे पहले 'यात्री केंद्र ' जाना चाहिए जिसके खुलने का समय प्रतिदिन सुबह ९.०० बजे से १ बजे तक तथा दोपहर १.३० से शाम ५.३० तक है जहा उन्हें चित्र -प्रदर्शनी ,परिचयाताम्क फिल्म ,मत्र्मंदिर सूचना कक्ष ,पुस्तकों और सेवा-सूचना -स्थान के द्वारा शहर और उसकी गतिविधियों के सम्बन्ध में सामान्य जानकारी दी जाती है .वही पर दुकानों  में आरोविल. से सम्बंधित वस्तुओ की बिक्री बड़े पैमाने पर की जाती है .वहा पर RESTAURANT  भी है जहा चाय नाश्ता ,काफी ,  आदि आसानी से  उपलब्ध होती है  किन्तु बाहर की अपेक्षा  दाम ज्यादा है . फिर भी  पर्यटकों को बाहर से नाश्ता लाद के  ले जाने की  जहमत से छुटकारा मिलेगा  .