Monday 13 February 2012

क्या बलात्कार की बढती संख्या का कारण तंग और भड़काऊ कपडे है ?
 अख़बार पढ़ते -पढ़ते अचानक मेरी नजर हैदराबाद के डीजी पुलिस के बयाँ पर अटक गयी की लड़कियों द्वारा पहने जाने वाले तंग और भड़काऊ कपडे बलात्कार में बढती संख्या के लिए जिम्मेदार है .इधर हम खबर पढ़ रहे थे वही दूसरी ओर हमारी स्मृति पटल पर एक दृश्य तेजी से नाच रहा था .हुआ यू कि एक बार हम मेट्रो  में बैठे हुए अपने गंतव्य के आने का इंतजार कर रहे थे तभी अत्यंत आधुनिक वस्त्रो में सजी लड़की ने मेट्रो  के अन्दर कदम रखा ,उसका कदम रखना  था कि मजनु छाप लडको की बांछे  खिल गयी. सब अपनी जगह से सरक -सरक कर उससे   चिपकने की कोशिश करने लगे ये देख लड़की  अपनी जगह से हट   थोडा अन्दर की तरफ आ गयी .लेकिन उन मजनुऔ  को इतना धेर्य  कहा ,उन्होंने भी लड़की की बगल में अपने लिए जगह बना ली साथ ही अपनी घटिया हरकतों से उसे परेशान करना आरम्भ कर दिया  बस फिर क्या था लड़की ने घुमा कर चांटा एक के गाल पर रसीद कर दिया. ये देख कुछ महिलाओ के होठो पर जीत की मुस्कान बिखर गयी जबकि कुछएक उसके तंग कपड़ो को लेकर उसे बेहया ,बेशरम ,जैसे शब्दों से दबी जुबान में नवाजने लगी .उन महिलाओ की टिप्पड़ी पर मेरा मन कर रहा था की मै उनसे पलट कर सवाल करू की आप लोग  ढके पूरे कपडे साड़ी या सलवार सूट पहने हुए है. लेकिन  इसके बाद भी क्या आप मनचले ,आवारा लडको  की घटिया हरकत का शिकार नही बनती  क्या उनके अश्लील व्यंगो को नही झेलती है यहाँ तक की उनकी सीटिया काफी दूर तक आपका पीछा करती रहती है.हो सकता है की वो आपका पीछा करते -करते आपके घर तक भी पहुँच गया हो फिर भी आप ऐसे ओछे लडको को गलत न मानकर उस लड़की को दोष दे रही है  जिसकी   गलती  यही है  की उसने  आधुनिक कपडे पहने है.जबकि  सच्चाई   ये है की कुछ लोगो की मानसिकता ही  इतनी घटिया  होती है. की  उनके लिए   परिधान  नहीं वरन महिला होना ही काफी  होता है. उन्हें महिला के   रूप में मात्र भोग और मनोरंजन नजर आता है .इसी भोग का  आनंद उठाने के लिए कितनी बार दो महीने से लेकर छः महीने की बच्चियों तक को अपनी हवस का शिकार बना लेते है. यहाँ तक की नब्बे वर्ष की बूढी औरत भी नहीं छोड़ी जाती .और तो और कितने ही सगे रिश्तेदार   अपने ही खून को अपनी अतृप्त इच्छाओ की बेदी पर चढ़ा देते है. लडकिया कही सुरक्षित नहीं है.हर दस लड़की में से एक लड़की बलात्कार का शिकार बन रही है जिसकी रिपोर्ट समाज में  बदनामी  के भय से दर्ज ही नहीं करायी जाती .यही नहीं बहुत सी जगह पति के गुनाहों की सजा पत्नी के साथ सामूहिक बलात्कार  के रूप में  दी जाती है.अफ़सोस बलात्कार जैसे  जघन्य अपराध की सजा कानून की किताब में मात्र दस वर्ष की है ,और अगर अपराधी की पहुँच ऊपर तक है तो उसके लिए सजा से बचने के अनेक रास्ते है . ये सब कुछ इस लिए है क्योकि ये समाज पुरुष प्रधान समाज है .और महिला महज भोग करने की वस्तु .जिसे सीधे तौर पर हासिल न कर सको तो उसके लिए तरह -तरह के रास्ते इजाद कर दो जैसे की   दक्षिण में देवदासी प्रथा  जो अभी प्रतिबंधित है.ये वासना पूर्ति के लिए एक  लाइसेंस  था जिसकी आड़ में मनमानी करने की छुट .कभी किसी गरीब लड़की की सहायता करके या उसके परिवार को आर्थिक मदद  दे कर अपनी मर्जी चलाने  का मार्ग खोज लेता है. aor तो ओर चकले से लेकर वैश्यालय  तक बना डाले ,कालगर्ल ,मसाज पार्लर और न जाने कौन -कौन से   अय्याशी के साधन खोज ,. निकले लेकिन तृप्ति उसके बाद भी नहीं और होगी भी नहीं क्योकि संतुष्टि अधिकतर पुरुष के स्वभाव में है ही नहीं वो अपनी लोलुप्ता   का जामा स्त्री के छोटे होते हुए कपड़ो को बताकर अपने दामन को  पाक साफ कर लेना चाहता है .
,बहुत बार  समाज की नजर में अपने को दोष मुक्त साबित करने के लिए बलात्कार की शिकार युवती के साथ शादी करने की इच्छा भी जाहिर कर देता है.
 परन्तु हर समय पुरुष ही दोषी हो  ऐसा भी नहीं है  बहुत बार ऐसा भी होता है (10 out of 100) सौ में से दस महिलाये जब अपने प्यार को हासिल करने  में    नाकामयाब होती है तब जबरदस्ती बलात्कार का दोष बेकसूर व्यक्ति पर मढ़ कर उसे सजा दिलवाती है जो की गलत है .