Sunday 25 March 2012

Illegal immigration in Assam .


निजी स्वार्थ की उपज है  बंगलादेशी  घुसपैठ 
प्रकति की गोद में समाया असम  अदभुत सुन्दरता को अपने आगोश में लिए हुए प्रत्येक सैलानी को अपनी ओर आकर्षित करता है. ऊँची -ऊँची चोटिया,गहरी खाइयाँ ,ब्रह्मपुत्र की गर्जना ,ब्रह्मपुत्र के बीचो -बीच बने हुए माजुली व् भीमाशंकर टापू .अपने में रहस्यों को समेटे कामख्या सिद्धपीठ ,बगुलामुखी व् भुवनेश्वरी देवियों के मंदिर,नीरव सोंदर्य से भरपूर वशिष्ठ आश्रम ,काजीरंगा व् मानस century  जंहाँ  हाथियों के ऊपर बैठ कर दुर्लभ सुन्दर पक्षियों का कलरव सुनना ,गुम होती हुयी प्रजातियों के दर्शन करना तथा उन सभी  जानवरों को  देखने का सुखद अहसास मंत्रमुग्ध कर देता है जिन्हें हम या तो चिड़ियाघर में देखते है या फिर किताबो और discovery चैनल पर. | यंहा के निवासी भोले भाले व् कृष्ण भक्त है .क्यों न हो आखिर कृष्ण की पटरानी रुकमनी इसी असम प्रदेश की थी .जिसका उल्लेख भगवत गीता में मिलता है .तब असम को असम न कहकर कामरूप कहा जाता था इसी कामरूप के युवराज रुक्मण को हराकर कृष्ण ने रुकमनी को वरन किया था .इतना खुबसूरत असम प्रदेश जो विभिन्न प्रकार के खनिजो से भरपूर है उसे देखने के लिए  किसका मन लालायित नहीं होगा .किन्तु अगर किसी को वंहा जाने का अवसर मिलता है तो उसे ख़ुशी कम निराशा  ज्यादा  होगी . टूटी -फूटी सड़के ,जिन पर बड़े- बड़े  गड्ढे ,गंदगी ,विकास के नाम पर बंगलादेशी घुसपैठियों की बढती संख्या ,असम को स्वतन्त्र प्रदेश घोषित करने के लिए उल्फा , ऍन .ड़ी.एफ बी जैसे विभिन्न संगठनो की मांगे ,आये दिन इन संगठनो द्वारा बंद का आह्वान ,सुनवाई न होने पर बमबाजी ,हिंसा आदि असम की दिनचर्या में शामिल है .असम जैसे खुबसूरत प्रदेश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य  ये है कि केंद्र सरकार ने उसे कभी अहमियत दी ही  नहीं . विभिन्न पार्टियों के  नेताओ  ने अपनी सुविधा के अनुसार उसे बोली और शैली के अनुरूप टुकडो में बाँट दिया .अपने वोट बैंक को मजबूती प्रदान करने केलिए बंगलादेशियो को थोक के हिसाब से बसा लिया .बहुत से व्यवसायियों ने बंगलादेशी व् भूटानी लोगो को कम पैसे पर अपने कारखानों में काम पर रख लिया .बंगलादेशियो ने भी एक से रंगरूप का फायदा उठाते हुए स्थानीय लोगो कि जमीन पर दखल कर  पूरे  के  पूरे  गाँव अपने कब्जे में कर लिए .उदाहरण के लिए धुबरी ,और गोलपाड़ा जंहा स्थानीय लोगो कि संख्या न के बराबर है .बारपेटा,नलबारी ,नागो,और दारांग भी इसी दिशा में जा रहे है .इसका मुख्य कारण वंहा के सत्ताधारियो के लिए घुसपैठिये समस्या नहीं वरन उनका  वोट बैंक है ,वो वोट बैंक जो उनसे उन्ही कि जमीन छीन रहा है .लेकिन सत्ताधारी इस मद में फूले नहीं समां रहे है कि हम सत्ता में जनता कि पसंद से आये है.और आगे भी चुन कर आते रहेंगे .वे न ये देखना चाहते है न जानना कि जिस घुसपैठिये रूपी नाग को वो संरक्षण दे रहे है वो आने वाले दिन में उन्हें ही निगल जायेगा .अगर समय रहते नहीं चेते तो जिस असम पर वो राज कर रहे है ,नाज कर रहे है कल को वो ग्रेटर बंगलादेश का हिस्सा हो जायेगा.