Thursday 30 April 2020

Shakun Trivedi : मोदी जी का सपना

Shakun Trivedi : मोदी जी का सपना: गैंगटॉक ( सिक्किम ) जाना हुआ ,  पहाड़ों की सुंदरता अकल्पनीय थी   जगह -जगह  पहाड़ों से बहते हुए  झरने ,गहरी -गहरी खाई मन को वशीभूत करने क...

मोदी जी का सपना


गैंगटॉक ( सिक्किम ) जाना हुआ ,  पहाड़ों की सुंदरता अकल्पनीय थी   जगह -जगह  पहाड़ों से बहते हुए  झरने ,गहरी -गहरी खाई मन को वशीभूत करने के लिए काफी थे किन्तु  वहां की जिस बात  ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया वो था वहां का नियम - कानून,  वहां के लोगो का शांतिप्रिय स्वाभाव। टैक्सी चालक टैक्सी में गाने भी   हल्की आवाज में सुनते ताकि किसी को परेशानी न हो ।    अपने शहर -गांव के प्रति समर्पण अपनी सभ्यता के प्रति निष्ठा और सबसे ज्यादा सराहनीय था वहां के लोगो द्वारा स्वछता के प्रति जुनून।  वहां गंदगी फैलाना जुर्म है यहाँ तक की कोई भी कही भी गुटका -पान  मसाला नहीं थूक  सकता।  कही भी कचरा नहीं फेक सकता।   गाड़ी में बैठ कर चिप्स --बिस्किट -केक का स्वाद लेकर खाने वाले उसके रैपर या पानी की बोतलों को किसी पहाड़ या खाई में नहीं फेंक सकते।   अधिकतर  पर्यटक गंगटोक में नियम मान कर अपनी सज्जनता का परिचय देते  है वही वे सिलीगुड़ी पहुंचते ही खुद को आजाद अनुभव कर जी भर कर कचरा फेंक ,पान -मसाले की पीक थूककर सिलीगुड़ी की सुंदरता में चार चाँद लगाना आरम्भ कर देते है। आश्चर्य तो ये देखकर होता है की   अधिकतर  पर्यटक शिक्षित होते है ,बड़े व्यवसायी  या अफसर होते है लेकिन वे स्वच्छता जैसी बातों को  महत्व क्यों नहीं देते ।  जहाँ तक गांवों की बात करे वहां के ज्यादातर लोग काम चलाऊ पढाई करते है किन्तु जिंदगी की बेसिक बातों को नजर अंदाज नहीं करते जिसमे खास कर अपने आस - पास की साफ -सफाई पर ध्यान देना।  वे लोग अपने घरों को तो स्वच्छ रखते ही है बल्कि घर के सामने की गली को भी झाड़ कर साफ कर देते है ताकि रास्ता स्वच्छ दिखे। जबसे शिक्षा का स्वरुप महज डिग्री पा कर किसी ऊँचें संस्थान में नौकरी पाना हो गया है तबसे जीवन की अहम बातें गौड़ हो गयी है। ऊपर से  नगरपालिका  या टाउन एरिया  ने सफाई की जबसे  जिम्मेदारी उठा ली  है तबसे  प्रत्येक व्यक्ति सफाई के लिए नगर निगम कर्मचारी के ऊपर निर्भर रहने लगा है लेकिन  मजे की बात ये है की उस कर्मचारी  द्वारा की गयी सफाई भी बहुतों को रास नहीं आती  जिसमे महिलाये भी  अपना पूरा सहयोग देती है मसलन सफाई कर्मचारी  बिल्डिंग के सामने जाकर सीटी बजाते है जिसका मतलब घर का कचरा  उन्हें सौप दिया जाये  परन्तु बहुत से ऐसे घर होते है जिनकी महिलाएं  सफाई कर्मी को कचरा नहीं देंगी किन्तु  उसके जाने के कुछ मिंटो में ही घर से निकाले गए कचरे का पैकेट सड़क पर आ टपकेगा।  इन सब बातों पर अगर हम गौर करे तो पाएंगे की जागरूकता होने के बावजूद भी  अधिकतर लोग सफाई को गंभीरता से नहीं लेते या लोगो में सफाई के प्रति  रुझान नहीं है।  हमारे बुजुर्गो ने  वृक्षों , नदियों , पहाड़ों को  किसी न किसी रूप में धर्म से जोड़ दिया था  ताकि उनकी अनदेखी न हो और न ही उनका  दुरूपयोग,  किन्तु पाश्चात्य संस्कृति में सराबोर लोगो को इसमें  अन्धविश्वास नजर आने लगा.   एक और हमारे प्रधान मंत्री  मोदी जी स्वच्छता अभियान चला कर पूरे भारत के स्वरुप को बदलने की कोशिश कर रहे है दूसरी ओर अनेक टीवी चैनल पान मसाले के विज्ञापन दिखा कर युवाओं को भ्रमित कर रहे है।  ऐसे विज्ञापन देख कर ये तो हर कोई समझ सकता है  की बिना सरकार की सहमति के कोई भी चैनल इस तरह के बिज्ञापन नहीं दिखा सकता इसका सीधा सा मतलब है की इनसे आने वाले राजस्व का लालच ही सरकार को  इन पर कठोर करवाई नहीं करने दे रहा है ठीक वैसे ही जैसे की दुकानदारों पर सख्ती कि वे  पॉलीथिन में सामान न दे लेकिन पॉलीथिन बनाने वाले कारखानों पर कोई सख्ती नहीं।  जनता के लिए सन्देश  गंगा साफ रखे किन्तु सीवर ,टेनरी  पर पूर्णतया रोक नहीं है।   इन सब बिंदुओं पर ध्यान दे तो ये   मानना  पड़ेगा कि मोदी जी का सपना भारत को स्वच्छ रखने का तब तक पूरा नहीं हो सकता है  जब तक की चैनलों द्वारा इस प्रकार के विज्ञापनों और पान मसाला, गुटका के  निर्माण करताओं  पर रोक नहीं लगेगी।